Kathadesh RSS Feed
Subscribe Magazine on email:    

कहानी : हाय दिल्ली उर्फ एक दिल्ली-सिकेकी वाह (2)

मैंने कहा  ”क्षमा करेंगी भाभी जी सुधेन्दु भाजपाई है और हमारे देश में दक्षिणपंथ और बुद्धि दोनों में बुनियादी बैर चला आता रहा है.“

पत्राकार के रूप में अग्निबोध की साख और योग्यता सुधेंदु से कहीं अधिक थी इसलिए यह नाम भी अन्ततः अनुमोदित हो गया. लेकिन जब मैंने हिंदी ठीक से न बोल पाने वाली और अंग्रेजी का भी साधारण ज्ञान रखनेवाली तथाकथित पत्राकार सुलेखा को फीचर संपादक बनाने की बात कही तब भाभी जी के साथ-साथ भाई साहब भी उखड़ गए. कुछ इस तरह कि उनका साँस भी उखड़ने लगा. मैंने करबद्ध विनती की  ”इसे दिल पर मत लें भाई साहब. जब तक कल्कि का अवतार नहीं हो जाता तब तक धर्म, संस्कृति, भाषा सभी की ग्लानि होती ही रहेगी. यहां प्रश्न प्रस्तुत हुआ है आपकी चलाई ब्रांड को अपमार्केट बनाने का तो मार्केट प्रोफाइल के मद्देनजर हमें कुछ तो ऐसे लोग रखने ही होंगे जिनकी मदर की टंग भले ही हिन्दी रही हो, लेकिन जिनकी अपनी टंग इंगलिश हो चुकी हों बल्कि यों कहना चाहिए कि जिनकी टंग की एक टांग हिंदी में हो और दूसरी अंग्रेजी में रहती हो.“

खाँसी से जूझते हुए भाई साहब तो कुछ कह नहीं पाये लेकिन भाभी जी बोल उठीं  ”ठाकुर नटवर सिंह, उस छम्मक-छलो को तो पत्राकारिता का ककहरा भी नहीं आता.“
मैंने कहा  ”वह छम्मक-छलो ग्लैमर की महफिल में उठना-बैठना तो जानती है ना. उसे फीचर संपादिका बना देने से ‘शुभ प्रभात’ ब्रांड स्वतः ही ग्लैमर के संसार से जुड़ जाएगा. सोसाइटी काॅलम्स में जहाँ-भी उसका उल्लेख होगा उसके शुभ प्रभात की फीचर संपादिका होने का उल्लेख भी आएगा. अपमार्केट में हमारी मुफ्त में पब्लिसिटी होती रहेगी.“ बेबी ने मेरा अनुमोदन किया और बोली  ”लाइक शी तो वुड जोड़ो सारे ग्लिटराटी और चैटराटी विद शुभ प्रभात ब्रैंड लाइक, वो उनके इंडरव्यूज ले सकेगी लाइक...“
मैंने बात काटते हुए कहा  ”क्वाइट सो. और सौ बातों की एक बात जब हम ओल्ड फैशंड मुचकुंद को संपादक बनाने का फैसला ले चुके हैं तब संतुलन के मद्देनजर यह और भी जरूरी हो जाता है कि सुलेखा जैसी आधुनिका को फीचर संपादिका बनाया जाये. हमारा प्रोडक्ट दादा सुधारक जी और पोती बेबी जी दोनों का ही प्रोडक्ट बनेगा तभी सांझा संस्कृति पनपेगी. इससे मुझे याद आया सुधारक जी मेरा आपसे विनम्र अनुरोध है कि आपने संपादक की हैसियत से देश-विदेश के मुनियों-मनीषियों के प्रेरणाप्रद वचनों पर आधारित ‘आह्वान’ शीर्षक जो स्तंभ लिखकर अपनी विद्वता के झंडे गाड़ दिये थे कृपया फिर से शुरू करें.“

भाई साहब के ओंठों पर नितान्त विनम्र-सी मुस्कान खेल गई, बोले  ”दृष्टि क्षीण हो चली है, स्वास्थ्य भी सामान्यतः ठीक नहीं रहता, अस्तु, तुम्हारे अनुरोध की रक्षा कर नहीं पाऊँगा नटवर.“

मैंने कहा ”भाई साहब मेरी दृष्टि तो छह बटा छह है और वह आपकी सेवा में सदा प्रस्तुत रहेगी. आप कृपया वह स्तंभ लिखकर मेरे-जैसे अपने लाखों-लाखों प्रशंसकों को अपनी लेखनी का प्रसाद बाँटते रहें.“

वह राजी हो गए. मैंने उन्हें यह स्मरण कराना अनुचित समझा कि जब आपकी दृष्टि क्षीण नहीं हुई थी तब भी बहैसियत सहायक संपादक मैं ही आपके लिए सारे उद्धरण यहाँ-वहाँ से उतारकर लाता था और आप उसके आधार पर कुछ  या घसीटकर मुझे दे देते थे कि प्रेस में भेजने से पहले एक बार दृष्टिपात जरूर कर लेना नटवर.

खैर नियुक्तियाँ हो जाने के बाद नए स्टाफ के साथ भाषानीति तय करने के लिए बैठक हुई. सुधारक जी ने आचार्य किशोरी दास वाजपेयी की दुहाई दी और नेकराम ने सुनकर जम्हाई ली. पत्रा उवाच  ”मैं कई बार कह चुका हूँ कि हमने हिन्दी में न्यूज देनी चाहिए, न्यूज में हिन्दी नहीं.“

बेबी बोली ”प्योर हिंदी में न्यूज देना तो रीडर्स को कनफ्यूज करना है. नई जनरेशन का कोई भी बंदा नहीं समझता इस लैंग्वेज को.“
मैंने कहा  ”जिस जनरेशन की आप बात कर रही हैं उसे तो कोई भी प्योर भाषा समझा में नहीं आती. इसलिए हम लोग पन्हिंग्लिश में न्यूज देंगे. यानी ऐसी हिन्दी में जिसमें पंजाबी और अंगे्रजी की तबीयत से मिलावट की गई हो.“ चंद्रवती जी बोलीं  ”मैं तो ऐसी भाषा के बहुत विरुद्ध हूँ“

मैंने कहा  ”विरुद्ध तो मैं भी हूँ भाभी जी लेकिन मार्केट तो उसके फेवर में है. हिन्दी भाषी क्षेत्रा में ऐसा माना जाने लगा है कि इंगलिश और पंजाबी मिला देने से जो हिन्दी बनती है वह अमीर और आधुनिक लोगों की होती है.“
मुचकुंद बोला  ”आज जे-हे-ने-से ई चाहिते हैं कि हलो दिल्ली टाइम्स टाइप की भासा प्रयोग की जाये.“

मैंने कहा  ”और हम ई हरगिज नहीं चाहते कि आप कहीं भूल से भी यू.पी. बिहार की बोलियों का टच न दे जाएं हिन्दी में. यू.पी बिहार बैकवर्ड है और उनकी बोलियों की छूत लगने से हिन्दी डाउनमार्केट हो जाती है. आप पन्हिंग्लिश के यूज में ‘हलो दिल्ली टाइम्स से दो हाथ आगे बढ़ें. उनके यहाँ हैड लाइनों में हद से हद एक शब्द अंग्रेजी का इस्तेमाल किया जा रहा है  ‘क्या ओसामा सरेंडर करेगा’. हमारे यहाँ कम-स-कम दो किये जाएँ  ‘ओसामा का सरेंडर करना अब डाउटफुल.’ सुलेखा जी आप फीचर लेखों के शीर्षकों में दो से भी ज्यादा इंगलिश वर्ड्स यूज करें.“

सुलेखा हँसकर बोली  ”आई तो विल यूज सारे ही इंगलिश के.“
मैंने कहा  ”नहीं, अंग्रेजी लिखिएगा तो हिंदी अखबार से तनख्वाह नहीं पाइएगा. तो आप इस तरह शीर्षक लगाएँ  ‘बाॅयफ्रेंड के साथ एंज्वाॅय करें मगर लिमिट्स न क्राॅस करें’, ‘सैक्सी ऐलीशा की रोल माॅडल है मैडोना’, ‘मस्त होना मस्ट है अच्छी शोसल लाइफ के लिए.’ फीचर पृष्ठों पर हमारे स्तंभों के नाम जहाँ तक हो सके अंग्रेजी में ही रखे जाएँ जैसे, ‘फस्र्ट लव’, ‘ग्लैमर वल्र्ड’, ‘टेक केयर’, वगैरह.“
अग्निबोध बोला  ”यह कुछ ज्यादा तो नहीं हो जाएगा.“

मैंने कहा ”आजकल मार्केट का नारा ही यह है कि जितना ज्यादा उतना अच्छा. यह भी मत भूलो कि विज्ञापन दिलाने वाली ऐजेंसियों की समझ में केवल अंगे्रजी आती है. बाई द वे हमारे मास्ट हैड में ‘हाय डेल्ही रोमन अक्षरों में छपा रहेगा और ‘शुभ प्रभात दिल्ली’ देवनागरी अक्षरों में.“

सुधारक जी मेरे सौभाग्य से इस बीच दमे के दौरे से जूझते रहे थे लेकिन अब उस पर काबू पाकर वह बोले  ”नटवर तुम मेरे चेले रहे हो और मैं सपने में भी यह नहीं सोच सकता था कि तुम बच्चों को ऐसी वाहियात सलाह दोगे.“

मैंने करबद्ध निवेदन किया  ”भाई साहब मेरा सलाह का वाहियात होना तो विवादास्पद है लेकिन यह निर्विवाद है कि आप और मैं सठिया चुके हैं. युगानुकूल नहीं करने देंगे बच्चों को तो उनकी दृष्टि में डैम्फूल ही ठहरेंगे. तो मुझे कुछ ऐसा चक्कर चलाने दें जिससे मेरी मूँछें ऊंची रह सकें और आपका मुनाफा भी.“

सुधारक जी दुःखी होकर बोले  ”तुम लोग तो हिंदी को खत्म करके ही मानोगे.“
मैंने कहा  ”हिन्दी के चिरायु होने पर आपका यह अविश्वास सर्वथा अशोभनीय है भाई साहब, हर हिन्दी पे्रेमी को भ्रष्ट हिंदी में ही सही, सार्वजनिक रूप से यही कहते रहना चाहिए कि जब तक सूरज-चाँद रहेगा, हिन्दी तेरा राज रहेगा.“
सुधारक जी रुष्ट होकर बोले  ”तुम तो हँसी-ठट्ठा कर रहे हो नटवर.“

मैंने कहा  ”किसी हिन्दी दैनिक के लिए अपमार्केट में पहुँच बनाकर मुनाफा कमाना हँसी-ठट्ठे की बात नहीं है गुरुदेव. मेरा निवेदन है कि जब मुनाफा होने लगे तब आप उसका एक अंश हिन्दी के संरक्षण और प्रचार-प्रसार के लिए स्थापित हिंदी टैम्पल एंड फन पार्क की स्थापना पर लगा दें. उसमें सिनेमाघर, रंगशाला हाॅल, शाकाहारी फास्ट फूड के रेस्तराँ, पिकनिक स्थल, नौका-विहार स्थल, बच्चों के खेलने के लिए स्थल ऐसी तमाम चीजें हों जो लोगों को वहां सवपरिवार पिकनिक मनाने के लिए प्रेरित करें. साथ ही एक मन्दिर हो. जिसमें सरस्वती देवी की प्रतिमा लगी हो और दीवारों पर हिंदी के श्रेष्ठ कवियों की रचनाएं अंकित हों. बाहर उद्यान में श्रेष्ठ साहित्यकारों की मूर्तियाँ हों और भीतर फोटो-गैलरी में श्रेष्ठ साहित्कारों के बड़े-बड़े चित्रा टँगे रहें. किताबों की दुकान, पांडुलिपि संग्रह, पुस्तकालय भी हो.“

नेकराम बोले  ”आइडिया तो बुरा नहीं है. अगर हम इसके लिए सरकार से रियायती दरों पर बहुत बड़ा सा प्लाॅट एलाॅट करा लें तो हमें मुनाफा ही मुनाफा है.“
मैंने मुचकुंद से कहा  ”तुम प्लाॅट एलाॅट कराने के पुण्यकार्य में लग जाओ. यह तुम्हारी पहली परीक्षा है.“

बेबी बोली  ”फनपार्क इज फन आइडिया.“ शशिबाला बोली  ”हिंदी मंदिर हमारी बैं्रड की पब्लिसिटी के पाॅइट  आॅफ व्यू से भी अच्छा रहेगा.“
मैंने कहा  ”इससे तो आप लोगों की भी जबरदस्त पब्लिसिटी होगी. जैसे दिल्ली में लक्ष्मी नारायण मंदिर को हर कोई बिड़ला मंदिर ही पुकारता है उसी तरह प्रस्तावित हिंदी मंदिर को हर कोई सुधारक मंदिर ही पुकारेगा. सुधारक जी मेरा नम्र निवेदन है कि इस काम का बीड़ा आप ही उठाएँ.“

सुधारक जी बोले  ”इस बुढ़ापे में इतनी दौड़-धूप मुझसे नहीं हो सकती.“
मैं इस टिप्पणी के लिए तैयार होकर आया था. मैंने कहा  ”इस काम के लिए हम आदरणीया कमलेश जी को नियुक्त कर लेंगे.“ मेरे मुँह से यह नाम निकलते ही भाभी जी ने भाई साहब की ओर देखा और भाई साहब बोले  ”कमलेश जी अपना स्कूल चलाती हैं उनके पास इस सबके लिए समय कहाँ है. सुधेंदु को रख लो.“

भाई साहब ने अनुमोदन के लिए भाभी जी की ओर देखा और उन्होंने कहा  ”वही ठीक रहेगा. भाई साहब का दिल टूटने की नौबत न आने देने के लिए मैंने तुरंत कहा  ”सुधेंदु की समझ भी सीमित है और पहुँच भी. आदरणीया कमलेश जी का परिचय क्षेत्रा विराट है. उनकी पहुँच प्रयाग साहित्य सम्मेलन से लेकर भारत भवन तक, अपने विद्यालय से लेेकर महात्मा गाँधी अंतर्राष्ट्रीय हिन्दी विश्वविद्यालय तक, नगरपाल से लेेकर प्रधानमंत्राी तक और हास्यरस के कवियों से लेकर दरीदा पर भाष्य लिखने वाले आलोचकों तक है. मैं उनसे बात कर चुका हूँ और वह इस पुण्यकार्य के लिए समय निकालने के लिए तैयार हंै.“

भाभी जी अब भी भाई साहब को अपलक निहार रही थीं. मैंने स्थिति का आनंद लेते हुए कहा  ”हिंदी मंदिर के लिए अपनी मुँहबोली बहिन की नियुक्ति से भाभी जी को  भी निश्चय ही प्रसन्नता होगी और मुझे पूरा विश्वास है कि वह भी इस पुण्यकार्य मेें आदरणीया कमलेश जी और परमआदरणीय सुधारक जी से भरपूर सहयोग करेंगी.“
अपनी सबसे नई और कमसिन साली की इस नियुक्ति के प्रस्ताव से धर्म पत्नी के चेहरे पर आये तनाव को दूर करने के लिए सुधारक जी ने कहा  ”मेरे विचार से नटवर अब तुम समाचार-चयन के बारे में इन लोगों को बताओ, मैं विश्राम करूंगा.“

सुधारक जी चले गए और मैंने गाइडलाइन देनी शुरू की. मैंने कहा ”न्यूज किसी भी समाचार को छापने या किसी भी टाॅपिक पर लेख लिखवाने से पहले आप अपने से पूछें कि क्या अपमार्केट घरों में चार भलेमानस इस पर चर्चा करना चाहेंगे? क्या सनसनी फैलाने, गुदगुदाने, डराने, हैरान करने, किसी का पर्दाफाश करने या कामुकता जगाने वाला है, अगर इन प्रश्नों का जवाब हो ‘नहीं’ तो उसे आप हरगिज नहीं छापेंगे.“

इस पर काॅमरेड शशिबाला बोलीं  ”डू यू मीन कि हमारी यहाँ हार्ड न्यूज छपेगी ही नहीं.“
मैंने कहा  ”जरूर छपेगी लेकिन साफ्ट बनाकर. हम राजनीतिक समाचार और लेख प्रमुखता से छापेंगे लेकिन उनका आकार छोटा रखेंगे और उनका सार बीच में ही बाॅक्स बनाकर डाल देंगे ताकि लोगों का पूरा पढ़ने की बोरियत न झेलनी पड़े. तो आप लोग इस मूलमंत्रा को याद रखें  जो हो सनसनीखेज उसी को समाचार कहेंगे. सैक्स, क्राइम और ग्लैमर इन तीन पर हम सबसे ज्यादा ध्यान देंगे.“

सासू चन्द्रवती ने आपत्ति की  ”आप तो शुभ प्रभात को ‘हलो दिल्ली टाइम्स’ की तरह कूड़ा बनवाकर रख देंगे.“

मैंने कहा  ”भाभी जी मंडी में सबसे ज्यादा बिकने वाली चीज को कूड़ा कहना युग-धर्मानुसार पाप है. अगर हमारा राइवल ब्रांड कूड़ा है तो मार्केट में उसे मुँह के बल गिराने लिए हम सुपर कूड़ा बेचेंगे.“
अब बहू शशिबाला ने आपत्ति की  ”साॅरी ठाकुर साहब हम अपनी ब्रांड को यलो जर्नलिज्म से नहीं जोड़ सकते. हमने हमेशा काॅलेज फाइट किया हुआ है.“ मैंने कहा  के लिए क्वाइट राइट.“

बहूरानी बोली  ”व्हाॅट क्वाइट राइट? आप तो इस तरह कह रहे हैं मानो हमने उड़ीसा में भुखमरी  जैसे सीरियस टाॅपिक छूने ही नहीं हैं. फाॅर योर इनफाॅर्मेशन हमने इस बारे में लगातार कैम्पेन किया था.“

मैंने कहा  ”पुराना वामपंथी होने के नाते मैं खुद काॅलेज का कायल हूँ शशि जी. न होता तो क्या मुुझे किसी पागल कुत्ते ने काटा था जो काॅमरेड अग्निबोध को समाचार संपादक बनाकर लाता? मैं तो सिर्फ इतना ही कह रहा हूँ कि जहाँ वामपंथी होने के नाते हम काॅजेल पर ध्यान देंगे वहां मंडी प्रेमी होने के कारण हम उस चीज को भी हाइलाइट करते रहेंगे जिसे आपकी सासू जी कूड़ा ठहराती हैं. इसलिए हम भुखमरी की खबर छापेंगे तो जरूर लेकिन ध्यान रखेेंगे कि उसे किसी सनसनीखोज घोटाले से जोड़ें और इस तरह पेश न करें कि अपमार्केट के वासियों के ब्रेकेेेेफास्ट का मजा किरकिरा हो जाये. लैफ्टलीनिंग होने के नाते जहाँ हम काॅमरेड अग्निबोध को छूट देंगे कि आर्थिक छोड़ बाकी सभी मामलों में अखबार को लैफ्टिस्ट इमेज दें, वहाँ हम ग्लैमर-गर्ल सुलेखा को भी यह छूट देंगे कि वह काॅमरेड के किये-धरे पर शैम्पेन फेरती रहे. इधर काॅमरेड भुखमरी का रोना रो रहा होगा. उधर ग्लैमर गर्ल पाँच सितारा होटल में भोजन परोसवा रही होगी. इधर काॅमरेड जैसलमेर की प्यास के बारे में चीखते-चिल्लाते अपना गला सुखा रहा होगा और इधर हमारी ग्लैमर गर्ल उसके तथा हमारे पाठकों के लिए नायाब काॅकटैल्स तैयार करवा रही होगी. इधर हमारा काॅमरेड मुस्लिम कट्टरपंथ के प्रति अमेरिकी अत्याचार का पर्दाफाश कर रहा होगा और उधर हमारी ग्लैमर गर्ल यह बता रही होगी कि अमेरिका स्कूलों के लड़के-लड़कियों की तरह हमारे स्कूली लड़के-लड़कियाँ भी आपस में सैक्स-सुख प्राप्त करने लगे हैं. इधर हमारा काॅमरेड...“

मुचकुंद, जो मेरी गर्दन कभी अग्निबोध और कभी सुलेखा की ओर मुड़ती देख-देखकर दुःखी हो चला था, बोला  ”सर आप सारा ही काम इन टू जन से ही करवा लीजिएगा? मेरे वास्ते कोनों रोल नहीं न रखिएगा.“

मैंने कहा  ”तुम हलो दिल्ली टाइम्स में इसलिए दुःखी थे कि वहाँ संपादक तुमसे सारा काम करवा ले रहा था और अब यहाँ इसलिए दुःखी हो रहे हो कि तुमसे कलम घिसने को नहीं कहा जा रहा है. अरे ठाठ से नेताओं के दरबार में हाजिरी लगाना और उनके साथ देश-विदेश की हवाई यात्राएँ करते रहना. कान खोलकर सुन लो कि तुम्हारी भूमिका अब वही होगी जो आज किसी भी संपादक की होती है. गौण रूप से तुम ‘शुभ प्रभात’ के रखवाले के आसन पर बैठोगे लेकिन मुख्य रूप से सत्ता के गलियारों में मालिकों की दलाली करते फिरोगे. इससे याद आया, तुम्हें इसी समय परम आदरणीय सुधारक जी के पास जाकर उनके स्वास्थ्य का ताजा बुलेटिन प्राप्त करना चाहिए और उनकी उपस्थिति में हिंदी मंदिर के लिए इंस्टीट्यूशनल एरिया में एक विराट प्लाॅट एलाॅट करवाने का बीड़ा उठाना चाहिए. जाओ यहाँ बैठे रहोगे तो मुझे टोकते रहोगे.“

मुचकुंद चला गया और मैंने वक्तव्य जारी रखा. ”मैं कह रहा था कि इधर हमारा काॅमरेड ठंड से ठिठुरती किसी बुढ़िया का चित्रा छापकर वृद्धाश्रमों का काॅज एडवांस कर रहा होगा और उधर हमारी ग्लैमर गर्ल चोली-चड्ढी पहनी किसी सुकन्या का चित्रा छापकर फैशन का काॅज.“ चंद्रवती भाभी फौरन उठ खड़ी र्हुइं  ”मैं वाॅकआउट कर रही हूँ.“ उन्होंने कहा  ”अच्छा होता मैं भी उनकी तरह इस मीटिंग में आती ही नहीं. नटवर सिंह मुझे तुमसे यह उम्मीद नहीं थी कि बुढ़ापे में तुम इतना नीचे गिर जाओगे.“

सम्मान देने के लिए मैं भी सीट से उठ गया और मैंने करबद्ध निवेदन किया  ”भाभी जी आपको क्या, स्वयं मुझे भी यह उम्मीद नहीं थी. लेकिन यहाँ तो हमारे-आपके सामने मार्केट की उम्मीदों पर खरा उतरने का प्रश्न है. आप जरा शांति से बैठिये और बताइये कि ब्रांड-इमेज को करैक्ट मिक्स देने के लिए मैं जो कुछ सुझा रहा था उसमें आपको आपत्तिजनक क्या लगा?“

चन्द्रवती भाभी बैठ गईं और फिर उन्होंने कहा  ”ये ‘हलो दिल्ली टाइम्स’ वालों की तरह विदेशी औरतों के अधनंगे चित्रा छापना मुझे बिल्कुल पंसद नहीं है.“

मैंने कहा  ”मैं स्वदेशी के पक्ष में हूँ और संपूर्णता के भी. सुलेखा नोट करें प्लीज कि हमारे यहाँ सिर्फ स्वदेशी सुंदरियों के चित्रा छापे जाएंगे और कानून जिस हद तक नग्नता छापने की अनुमति देता हो उस हद तक हम जाएंगे.“ चंद्रवती भाभी फिर गुस्सा होते हुए उठ गईं. बोलीं  ”मेरी बात का गलत-सलत मतलब लगाकर आप मेरा मजाक उड़ा रहे हैं.“
मैं उठा और मैंने पाँव छूकर उनसे क्षमा माँगी और कहा  ”मजाक तो भाभी जी ‘हलो दिल्ली टाइम्स ब्रांड’ आपके पति के चलाए ‘शुभ प्रभात ब्रांड’ का उड़ा रहा है. सरेआम बेलगाम बाजार में, आपका मतलब मैं समझ गया हूँ. जरा बैठिये मैं आपके मतलब की बात ही करने जा रहा हूँ.“

इस पर भी भाभी जी नहीं मानीं तो मैंने उन्हें भाई साहब की कसम दिला दी. खसम की कसम दिला दिये जाने पर वह भुनभुनाते हुए बैठ गईं. फिर मैंने कहा  ”आखिरी मगर सबसे जरूरी बात उर्फ लास्ट बट नाॅट दी लीस्ट, हमेशा याद रखें कि जैसे इंडिया की बुनियाद में भारत सदा विराजमान रहता है हमारा दैनिक तमाम और बातों की इंगलिस्तानी होते हुए भी दिल से हिन्दुस्तानी ही रहेगा. गाँधी जी की सीख पर चलते हुए हम नए जमाने की हवाओं को अपने कमरे में बहने देंगे लेकिन अपने पांव अपनी धरती और संस्कृति में मजबूती से जमाये रखेंगे, एक आदर्श समन्वय को तलाशते हुए हम अधनंगी माॅडलों के फोटो के साथ-साथ अधनंगे महात्माओं के चित्रा भी छापा करेंगे. सुधारक जी के नीति-वचनों पर आधारित स्तंभ को हम उसी शान से छापेंगे जिससे वाॅलीवुड की गाॅसिप को. हम नई पीढ़ी के लिए परंपरा को आधुनिक साँचे में ढलवाएंगे और अगर कोई पश्चिम में वैसा कर ही चुका हो तो वहाँ से आयात कर लेंगे, जैसे झाड़-फूंक को रेकी के रूप में रीपैकेज कर दिया है वैसे ही और चीजों को भी कीजिए. उदाहरण के लिए आप लिंडा गुडमैंने से जन्मपत्राी मिलाने की अपनी पद्धति को रीपैकेज करवा सकते हैं.“

शशिबाला ने आपत्ति की  ”मैं अंधविश्वास फैलाने के फेवर में नहीं हूँ.“
मैंने कहा  ”उसका तो कोई खतरा ही नहीं है. नया जमाना विश्वास और अंधविश्वास दोनों से ही ऊपर उठ चुका है. चकल्लस के लिए बहरहाल सबकुछ चलता है. मेरा आखिरी सुझाव यह है कि हमें दिव्येंदु जी महाराज को जो यंग और कूल हैं., और जिन्हें चंद्रवती जी ने संरक्षण दिया है ज्यादा से ज्यादा ‘बिल्ड’ करना चाहिए. हमारी ब्रांड उनकी इमेज बनाएगी और वह हमारी ब्रांड की.“ कहना न होगा कि इससे चंद्रवती की संतुष्ट हुईं. बोलीं  ”नटवर के सुझाव अच्छे हैं लेकिन बेबी मेरी एक बात का ध्यान जरूर रखना. वह यह कि हम नई पीढ़ी की खातिर अपने अखबार को आधुनिक तो जरूर बनाएं लेकिन अश्लील हरगिज नहीं.“

मैंने कहा ”एक्जैक्टली. तो आप सब याद रखें कि हैप्प, हाॅट येस, येस, बट बल्गर नो वे. हम अपनी ब्रांड को उतना ही माॅड होने दें जितना चंद्रवती जी ने अपनी पोती को हो जाने दिया है.“

चंद्रवती जी बोलीं ”मुझे पूरा विश्वास है कि भारतीय पुर्नजागरण के पुरोधाओं से प्रेरणा लेकर सुधारक जी ने परंपरा और आधुनिकता के समन्वय की जो परंपरा डाली थी उसे बेबी छोड़ेगी नहीं.“

मैंने कहा ”तो इसी विश्वास भरे सुखद स्वर के साथ मैं इस रणनीतिसत्रा को समाप्त करने की अनुमति चाहता हूँ भाभी जी.“
भाभी जी बोलीं  ”उसकी तो मैं अनुमति देती हूँ लेकिन अंग्रेजी मुहावरे से दूषित हिन्दी के उपयोग की नहीं. ऐसी हिन्दी हमारे यहाँ न चलाएँ.“

मैंने हँसते हुए कहा ”मैं चलाऊँगा नहीं, दौड़ाऊँगा भाभी जी. हम कहावतों, मुहावरों का उपयोग करेंगे ही नहीं, अगर करना होगा तो हमेशा अंगे्रजी से उधार लेकर ही करेंगे.“
अगले दिन मैंने सेल्स और मार्केटिग वालों के साथ बातचीत की. मैंने उनसे कहा  ”शुभ प्रभात ब्रांड बेचने के लिए हमें पहले हिन्दी को बेचना होगा. लेकिन हिन्दी ब्रांड को अलग से बेचने के लिए कैम्पेन करना बहुत महँगा है और इन ऐनी केस हम हिंदी मंदिर के रूप में ऐसा एक कैम्पेन चलाने ही वाले हैं. इसलिए अब आप ऐसी योजनाएं बनाएं जिनसे हमारी शुभ प्रभात ब्रांड और हिंदी ब्रांड दोनों की इकट्ठी पब्लिसिटी हो.“
अंगे्रजीदाँ एक्जीक्यूटिव सिर खुजलाने लगे. वे जानते थे कि सेठ की नौकरी में पैसे पहले सिर खुजलाते रहने के लिए और फिर अगर सेठ खुद ही कोई सुझाव दे डाले तो सिर हामी में हिलाने के दिये जाते हैं. बेकार के लैक्चर झाड़ने के लिए नहीं.
सेठ जी तो थोड़ा अस्वस्थ होने को कारण आ नहीं पाये थे इसलिए सेठानी जी बोलीं  ”आपके कैम्पेन में एक नारा तो यही हो सकता कि हिन्दी भारतमाता के माथे की बिंदी है.“

बेबी बोली ”ग्रैनी भारतमाता तो बहुत डल साउंड कर रहा है. मदर इंडिया बैटर रहेगा.“
मैंने कहा ”नहीं, मदर इंडिया भी महबूब बाबा के जमाने की चीज है यह तो मिस इंडिया का जमाना है.“

इस पर मार्केटिंग के मुखिया ने गला खंखारा और कहा  ”क्यों न हम हर मिस इंडिया को अपनी रीनेम और रीवैम्प की हुई ब्रैंड के लांच पर बुला लें?“
बेबी बोली ”गुड आइडिया.“

मैंने कहा  ”गुड तो है लेकिन इसे बैटर बनाया जा सकता है. हर भारत सुंदरी की जगह केवल उन्हीं को बुलाया जाये जो विश्व-सुंदरी रह चुकी हों. फिर देवनागरी और रोमन अक्षरों में ‘हिन्दी’ लिखवाकर उनके सांचों में रग-बिरंगी बिदियां ढलवाई जाएं. ऐसी बिंदियों को अपने माथे पर धारण की हुई सुंदरियां हमारे मीडिया और प्रिंट कैम्पेन में यह कहती हुई नजर आएं, हाय आई एम मिस इंडिया मेरे माथे की बिंदी हिंदी और मेरा फेवरेट न्यूज पेपर, हाय डेल्ही शुभ प्रभात दिल्ली.“

नेकराम बोले  ”इस तरह की बिंदिया हम बाँट और बेच भी सकते हैं.“
शशिबाला बोली  ”अगर हम अमिताभ जैसे किसी सैलिब्रिटी से एंडोसमेंट करा सकते तो ज्यादा अच्छा रहता.“

मैंने कहा  ”ज्यादा अच्छा नहीं, ज्यादा महँगा. अगर आप अमित जी को करोड़पति बनाने को तैयार हों तो वह माथे पर हिंदी की बिंदी लगाकर ठुमका लगाते हुए यह कह देंगे  गंगा किनारे वाला छोरा अमिताभ हिन्दी पर फिदा हूँ और ‘हाय डेल्ही शुभप्रभात दिल्ली’ पर मर मिटा हूँ.“

कंजूस भाभी जी बोलीं ”न हमें सिनेमा वाले चाहिए और न विश्वसुंदरियाँ. हमें अपनी ब्रांड को देशभक्ति से जोड़ना चाहिए.“
बेबी बोली  ”डल-डल-डल.“
मैंने कहा  ”चलिए दादी की भी रहीं, पोती की भी रही हम अपनी ब्रांड को ग्लैमर और देशभक्ति दोनों से ही एकसाथ जोड़ें.“
मार्केंटिग मुखिया ने फिर गला खंखारा और कहा  ”खादी फैशन शो.“

मैंने मार्कंेटिग मुखिया को भी प्रसन्न रखने की नीयत से कहा  ”वंडरफुल. अपने यहाँ के टाॅप और विदेश के किन्ही छोटे-मोटे डिजाइनरों को हम लोग सुधारक फैशन शो के लिए आमंत्रित करेंगे, शुभ प्रभात के स्पाॅन्सर किये हुए इस शो में सिर्फ  खादी की पोशाकें ही प्रदर्शित की जाएंगी उनमें से भी ज्यादातर तिरंगी होंगी. ईस्ट और वैस्ट के स्टाइलों की ऐसी जोड़ी बैठाई जाएगी कि माॅडल के शरीर का हर जोड़ और हर उभार अपनी बात दर्शकों तक पहुँचा पाएगा. हर माॅडल अपने माथे पर हिन्दी की बिंदी लगाए हुए होगी और बैक ग्रांउड में जावेद अख्तर द्वारा खासतौर पर लिखा गया एक गीत बजता रहेगा  अपनी धरती अपना देश, अपनी भाषा अपना भेस.“

अब मार्केंटिग मुखिया के सहायक ने गला खंखारने की हिम्मत की  ”अगर हम पी.एम. की पोएट्री का कुछ यूज कर सकते तो...“
मैंने उसका मुँह बंद करना जरूरी समझा और कहा  ”अगर नौ मन तेल होता तो.“
बेबी बोली  ”नौ मन तेल इज नो प्राॅब्लम् डैड की आॅयल मिल है ना.“
नेकराम बेबी पर झल्लाये  ”नौ मन तेल एक प्रोवर्ब है.“
मैंने कहा  ”इस बेचारी को मत डांटिए गलती मुझसे ही हुई है. मेरे को इतनी हार्ड हिन्दी नहीं ना यूज करनी चाहिए. मैं यह कहना चाह रहा था बेबी कि पीएम बेचारों को पोएम लिखने की अब फुरसत ही नहीं मिल पाती.“

नेकराम बोले ”लेकिन ये पीएम की पोयम वाला एंगल बुरा नहीं है. आप तो ये बताइये नटवर जी कि इस सिलसिले में में हम क्या कर सकते हैं.“

मैंने कहा ”हम बहुत कुछ कर सकते हैं. आपको पता ही है कि सैलिब्रिटी सर्किट वाले पवन वर्मा पीएम की पोयम्स का अंग्रेजी में अनुवाद कर चुके हैं. तो हम अपने कैम्पेन में पवन वर्मा से पहले अंग्रेजी अनुवाद की दो पंक्तियाँ सुनवाएं और फिर उसके हिन्दी मूल की उसके बाद कहलवाएं, ‘हाय फोक्स मैं हूँ पवन वर्मा पीएम की पोयम्स का ट्रांसलेटर. मैंने अपनी तरह से पूरी कोशिश की है लेकिन मैं यह मानने के लिए मजबूर हूँ कि इंगलिश में वो बात कहाँ है जो हिंडी में दिखती है. तो फोक्स इंडिया से जुड़ने के लिए हिंडी अपनाइये और हिंडी से जुड़ने के लिए हाय डेल्ही शुभ प्रभात दिल्ली मंगवाइये.“
शशिबाला बोली  ”यह आइडिया अच्छा है.“

मैंने कहा ”चोखे लाल जी ने मुझे चुना है इसलिए चोखे सुझाव ही दूंगा. मेरा दूसरा सुझाव यह है  कि पीएम की कुछ पोयम्स ऐलीशा और लकी अली से पाॅप स्टाइल में गवा लीजिये और उसके कैसेट को जारी करने के लिए अपनी ब्रांड की ओर से भव्य समारोह कीजिये. लगे हाथ एक सुझाव और, मातादीन जी आपके यहाँ बैठे मक्खी मार रहे हैं उनसे पीएम की पोयम्स का संस्कृत में अनुवाद करवाइए और फिर उन संस्कृत पदों पर सभी वयोवृद्ध नर्तकियांे को नचवाइए. हमारी ब्रांड की पब्लिसिटी होगी और मातादीन जी तथा डांसर माताओं का उद्धार हो जाएगा.“

सबने कहा ”वंडरफुल.“ और इस तरह के वंडरफुल आइडियाज का ही प्रताप था कि हमारी ब्रांड मार्केट में जोर-शोर से चल निकली और ‘हलो दिल्ली टाइम्स’ वालों को हक्का-बक्का छोड़ गई. हमारा दादा-पोती दोनों का मनपसंद यह हिंदी दैनिक गायत्राी भी जपता रहा और डिस्को डांस भी. बल्कि इसकी कोशिश तो यही रही कि गायत्राी पर ही डिस्को डांस कर दिखाये.

हमारी पन्हिंग्लिश बच्चे-बच्चे की जबान पर चढ़ गई और अंगे्रजी मुहावरे पर आधारित होने के कारण विश्वभाषा बनने की दिशा में कुछ आगे बढ़ी. भारत के अंग्रेजी दैनिक भी इसे इस्तेमाल करने लगे. हमारा ब्रांड अपनी पत्राकारिता से कहीं अधिक अपने तड़क-भड़क भरे आयोजनों के लिए जाना जाने लगा. हमने चर्चित लोगों को बिल्ड किया और चर्चित लोगों ने हमें चर्चा का विषय बनाया. गरीबों के काॅजेज के लिए लड़ने वाले राजधानी के अमीर और असरदार लोगों को खबर देने और लेने वाला हमारा यह दैनिक भले ही स्वयं उन लोगों द्वारा न पढ़ा जाने लगा हो उनके नौकरों द्वारा उस गरीब युवा बिरादरी द्वारा खूब पढ़ा जाने लगा जिसने मुझे बेबी की बाँह थामे काॅफी पार्लर की ओर जाते समय ईष्र्यालू दृष्टि से घूर-घूरकर देखा था.

मैं और ‘हाय दिल्ली’ ब्रांड तेजी से प्रगति करते चले गए और मुझे नटवर पुकारने वाली और अपनी निकटता से मेरी ओर ईष्र्यालू दृष्टियाँ निमंत्रित करने वाली तरुणियों की संख्या में तेजी से वृद्धि होती चली गई. मैं चोखा चैनल का भी हिन्दी एडवाइजर नियुक्त कर दिया गया और मेरा वेतन सवा लाख माहवार हो गया. हिन्दी और संस्कृति दोनों में गिरावट लाने के लिए सेठ-सेठानी मुझसे जितना रुष्ट हुए उससे कहीं अधिक संतुष्ट लाभ बढ़ा देने और लोेक-प्रसिद्ध बना देने के कारण हो गए. हिन्दी में गिरावट रोकने के लिए सेठ जी अपनी आदरणीया साली के साथ हिंदी-मंदिर के निर्माण में जोर-जोर से जुुट गए और संस्कृति में गिरावट रोकने के लिए सेठानी जी दिव्येन्दु जी महाराज के ‘दिव्य-लीला’ आंदोलन में प्राणपण से जुट गईं. नए वर्ष के स्वागत के लिए दिव्येंदु जी महाराज भक्तमंडली को लेकर माॅरीशस के सागर तट पर नाचने-गाने के लिए निकले तो मैंने सेठानी जी के साथ-साथ श्रीमती जी का भी टिकट कटवा दिया. बेबी, एक तरुण मंत्राी के साथ, जो उनका बाॅय फ्रेंड बन चुका था, कहीं अज्ञातवास करने चली गई. शशिबाला एक संसदीय प्रतिनिधि मंडल के साथ आॅस्ट्रेलिया चली गई और नेकराम धंधे की तलाश में दुबई पहुँच गया. संयोगवश चोखा चैनल में उनके द्वारा नियुक्त कराई गई एक प्रड्यूसर को भी मैंने उन्हीं दिनों दुबई में फीचर सूट करने के लिए भेज रखा था. मेरा और सुधारक जी का कोई पूर्व नियोजित कार्यक्रम नहीं था. अस्तु, मैंने सुझाव दिया कि हम लोग केरल चलें, वहाँ हिंदी-मंदिर की दक्षिण शाखा के लिए कोई अच्छी जगह भी तलाश कर लेंगे और वहाँ वैद्यों से अपना कायाकल्प भी करा लाएंगे.

जब हम वहाँ पहुँचे और अगले ही दिन यह देखकर हमारे आश्चर्य का कोई ठिकाना न रहा कि सुलेखा केरल के वैद्यों पर फीचर करने के लिए पहुँची हुई हैं और कमलेश जी को जबरदस्ती साथ घसीट लाई कि वहाँ मंदिरों के दर्शन कीजिएगा. केरल में हैप्पी न्यू ईयर मना लेने के बाद बिस्तर पर निढाल पड़े हुए मैंने नाइटी धारण करती हुई सुलेखा से कहा ”हमें एक फीचर इस बारे में भी करना चाहिए कि जवानी अब देर तक बरकरार रहने लगी है, वानप्रस्थ वृद्ध भी वियाग्रा का सदुपयोग करने लगे हैं. उसका शीर्षक रखना ‘चढ़ी जवानी बुड्ढ़े नू, ओल्डेज में कैसे एंजाॅय करें सैक्स.“
सुलेखा मुझ पर झुकी और मुझे चूमते हुए बोली ”ओल्ड इज गोल्ड.“
मैंने मन-ही-मन अपने पर ईष्र्यालू दृष्टि डालने वाले युवकों को हैप्पी न्यू ईयर विश किया, यह कामना और प्रार्थना की कि उनके लिए परंपरा और आधुनिकता दोनों का सुख हम लोगों की तरह भरपूर लूटने का कोई रास्ता तो निकाल. चाहे बंदूक की नोक पर लूट-खसोट से ही सही. उन्हें भी मेरी तरह हर महीने लखपति बना.

More from: Kathadesh
837

ज्योतिष लेख

मकर संक्रांति 2020 में 15 जनवरी को पूरे भारत वर्ष में मनाया जाएगा। जानें इस त्योहार का धार्मिक महत्व, मान्यताएं और इसे मनाने का तरीका।

Holi 2020 (होली 2020) दिनांक और शुभ मुहूर्त तुला राशिफल 2020 - Tula Rashifal 2020 | तुला राशि 2020 सिंह राशिफल 2020 - Singh Rashifal 2020 | Singh Rashi 2020